खुतबा ए जुमा ===(खुतबा ए शहीद)
======जुमा की नमाज़ से क़बल इमाम मस्जिद की मुक़र्ररा क़ाएदे के मुताबिक़ मसनूना वाजिब तक़रीर, भाषण==--
उर्दू से हिन्दी @umarkairanvi --With Guidance of Maulana Irfan Saqib Qasemi (Kairana)
🕌 in Urdu Here
ऐ ईमानदारों जब जुमा का दिन नमाज़ (जुमा) के लिए अज़ान दी जाए तो ख़ुदा की याद (नमाज़) की तरफ दौड़ पड़ो और (ख़रीद) व फरोख्त छोड़ दो अगर तुम समझते हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है 🕌 Quran 62:9
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पहला खुत्बा : --सब तारीफ़ अल्लाह-तआला के लिए है जो ज़ात आली मर्तबत है अज़ीमुल सिफ़ात वाला, बुलंद आदतों वाला और बड़ी शान वाला है, जलील-उल-क़दर, बुलंद ज़िक्र, मता ए अमर (यानी जिसके हर हुक्म की इताअत की जाये और रोशन दलायल वाला है अज़ीम मरतबे वाला नाम, वसीउ उल इलम, और बकसरत बख़शने वाला है। अच्छी तारीफ़ वाला, बे-इंतिहा अता करने वाला और आम एहसान करने वाला है, जल्द हिसाब लेने वाला, शदीद सज़ा देने वाला दर्दनाक अज़ाब देने वाला और ग़ालिब क़ुव्वत वाला है और हम गवाही देते हैं कि लायक़ इबादत अल्लाह के सिवा कोई नहीं, वो यकता (अकेला,वाहिद) है, खालिकीयत व हकूमत में, उस का कोई शरीक नहीं और हम गवाही देते हैं कि हमारे आक़ा-ओ-मौला हज़रत मुहम्मद ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस के बंदे और उस के रसूल हैं जिनकी बअसत
तमाम अस्वद व अहमर की तरफ़ है और जो मौसूफ़ हैं शरह सदर और बुलंदी ज़िक्र के साथ और रहमत नाज़िल फ़रमाए अल्लाह-तआला आप पर और आपकी औलाद पर और आपके तमाम सहाबा किराम पर जो अरब के बाशिंदों में ख़ालिस अरबी लोगों से मुंतख़ब शूदा हैं और
अंबिया अलैहिस्स्लाम के बाद मख़लूक़ में सबसे आला-ओ-अर्फ़ा हैं
हमद-ओ-सलात के बाद, ए लोगो अल्लाह ताला को एक मानो, इसलिए कि तौहीद तमाम इताअतों का मब्दा है, और अल्लाह-तआला से डरो इसलिए कि तक़वा (अल्लाह से डरना) तमाम नेकियों किया जौहर है और तुम पर लाज़िम है सुन्नत नबवी की पैरवी कि,सुन्नत इताअत की तरफ़ हिदायत करती है और जिसने अल्लाह और उस के रसूल की इताअत की उसने राह रास्त (सही, सीधा रास्ता) पा ली और वो रास्ता पाने वाला बन गया, और दीन में नयी इख़तिरा से बचो, इस लिए कि दीन में इख़तिरा ना फ़रमानी की तरफ़ ले जाती है, और जिस ने अल्लाह जल्ले शानहू, और उसके रसूल कि नाफरमानी कि वो गुमराह हो गया और (राहे हक़ से) भटक गया और तुम सच्चाई को लाज़िम पकड़ लो, इसलिए कि सच्चाई बाईस निजात है और किज़्ब बयानी (झूट बोलना) मोहलिक है, और तुम पर लाज़िम है अच्छा बरताव इसलिए कि अल्लाह जल शानहू अच्छा बरताव करने वाले को पसंद करता है, और अल्लाह-तआला की रहमत से मायूस मत होओ, इसलिए कि वो अरहम उल राहमीन है और दुनिया से मुहब्ब्त ना करो, वर्ना तुम ख़सारे में रहोगे और सुनो यक़ीनन कोई जान तक्मील
रिज़्क़ से क़बल लुकमा-ए-अजल नहीं बन सकती (अर्थात अपने नसीब के रिज्क को खाये बिना नहीं मर सकता), पस अल्लाह-तआला से डरते रहो और तलब रिज़्क़ में एतिदाल इख्तियार करो और अल्लाह-तआला पर भरोसा रखो इसलिए कि अल्लाह-तआला तवक्कुल से काम लेने वालों को महबूब रखता है, और तुम इस से दुआ करते रहो, इसलिए कि तुम्हारा परवरदिगार दुआ करने वालों (की दुआ)को क़बूल करता है और तुम उस से इस्तिग़फ़ार करते रहो, वो माल-ओ-औलाद के ज़रीया तुम्हारी मदद फ़रमाएगा।
मैं अल्लाह की पनाह मांगता हूँ शैतान मर्दूद से और तुम्हारे परवरदिगार ने फ़र्मा दिया है कि मुझको पुकारो मैं तुम्हारी दरख़ास्त क़बूल करूँगा और फ़रमाया जो लोग मेरी इबादत से सरताबी करेंगे वो अनक़रीब ज़लील हो कर जहन्नुम में दाख़िल होंगे, अल्लाह ताला हमारे लिए और तुम्हारे लिए क़ुरआन अज़ीम में बरकत अता फ़रमाए और हमको और तुमको आयत-ए-करीमा और ज़िक्र हकीम के ज़रीया नफ़ा पहुंचाए, में अल्लाह-तआला से अपने लिए और तुम्हारे लिए और तमाम मुस्लमानों के लिए इस्तिग़फ़ार करता हूँ तुम भी उस से इस्तिग़फ़ार करो बिलाशुबा वो बड़ा ग़फ़ूरु और रहीम है
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दूसरा खुत्बा
सब तारीफ़ अल्लाह जल शानहू के लिए है हम उस की हमद बयान करते हैं इस से मदद मांगते हैं और उसी से इस्तिग़फ़ार करते हैं, उस पर ईमान रखते हैं और उसी पर भरोसा करते हैं और अपने नफ़स की शरारतों से और अपने बुरे आमाल से अल्लाह की पनाह चाहते हैं जिसको अल्लाह-तआला हिदायत अता फ़र्मा दे, उस को कोई गुमराह नहीं कर सकता और है वो गुमराह कर दे उस को कोई हिदायत देने वाला नहीं हम गवाही देते हैं कि अल्लाह के सिवा कोई लायक़ इबादत नहीं वो एक है उस का कोई शरीक नहीं और हम गवाही देते हैं कि हमारे सरदार-ओ-मौला हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस के बंदे और उस के रसूल हैं आपको (अल्लाह ताला) ने दीन हक़ के साथ बशीर व नज़ीर बना कर मबऊस फ़रमाया है क़ियामत तक के लिए जिसने अल्लाह और उस के रसूल की इताअत की वो हिदायत पा गया और जिसने उनकी ना-फ़रमानी की उस ने अपने आप ही को नुक़्सान पहुंचाया और वो अल्लाह-तआला को ज़र्रा बराबर भी नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता, मैं में पनाह चाहता हूँ अल्लाह की शैतान मर्दूद से, बे-शक अल्लाह-तआला और उस के फ़रिश्ते दुरूद भेजते हैं नबी ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर।
ए ईमान वालो तुम भी आप ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद भेजा करो और ख़ूब सलाम भेजा करो, ए अल्लाह तू हमारे सरदार-ओ-मौला हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ाﷺ पर रहमत नाज़िल फ़र्मा जो आपके बंदे और आपके रसूल हैं नीज़ तमाम मोमिन मर्दों और औरतों और तमाम मुस्लमान मर्दों और औरतों पर रहमत नाज़िल फ़र्मा और तो हमारे सरदार-ओ-मौला हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर और आपकी अजवाज-ए-मुतहरात (बीवियों), औलाद और तमाम साथियों पर बरकत नाज़िल फ़र्मा।
नबी करीम ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि मेरी उम्मत में से सबसे ज़्यादा मेरी उम्मत पर रहम करने वाले हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु 'अन्हु हैं, और उन (उम्मतीयों) में अल्लाह के मुआमला में ज़्यादा मज़बूत हज़रत उमर बिन अल खत्ताब रज़ियल्लाहु 'अन्हु हैं और उन (उम्मतीयों) में ज़्यादा सच्चे हया के एतबार से हज़रत उसमान ग़नी रज़ियल्लाहु 'अन्हु हैं, और उन (उम्मतीयों मैं सबसे ज़्यादा फ़िक़ही बसीरत रखने वाले हज़रत अली करम अल्लाह वजहा हैं और हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु 'अन्हु जन्नत की औरतों की सरदार हैं, और हज़रत हसन और हुसैन रज़ियल्लाहु 'अन्हु जन्नत के जवानों के सरदार हैं, और सैयदुल शुहदा हज़रत हमज़ा रज़ियल्लाहु 'अन्हु अल्लाह और उस के रसूल के शेर हैं, और ए अल्लाह! तू हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु 'अन्हु और उनकी औलाद की ज़ाहिरी-ओ-बातिनी मग़फ़िरत फ़र्मा कि एक गुनाह भी बाक़ी ना रहे।
अल्लाह से डरो, अल्लाह से डरो मेरे सहाबा के बाब में तुम उनको मेरे बाद निशाना तन्क़ीस ना बनाना, जिसने उन से मुहब्बत की सौ मेरी मुहब्बत की वजह से उनसे मुहब्बत की और जिसने उनसे दुश्मनी की बस मुझसे दुश्मनी की वजह से उनसे दुश्मनी की और सब से बहतर ज़माना मेरा ज़माना है फिर जो उन अहल-ए-ज़माना के क़रीब हैं फिर जो उनके क़रीब हैं और (मुसलमान) सरबराह ममलकत ज़मीन में अल्लाह का साया है जिसने ज़मीन में अल्लाह के (क़ायम करदा) सुलतान की तौहीन की उसने अल्लाह की तौहीन की बे-शक अल्लाह तआला, एतिदाल, अहसान और अहल क़राबत को माल देने का हुक्म सादर फ़रमाते हैं और खुली बुराई और मुतलक़ बुराई और ज़ुल्म से मना करते हैं अल्लाह-तआला तुमको नसीहत फ़रमाते हैं ता कि तुम नसीहत को क़बूल करो।
तुम अल्लाह का ज़िक्र करो वो तुम्हारा ज़िक्र करेगा और तुम इस से दुआ करो वो तुम्हारी दुआओं को क़बूल करेगा अल्लाह ताला का ज़िक्र आला, ऊला, अजल, उत्तम, अहम, आज़म, और अकबर है।
--समाप्त-
---🤲 🤲🤲इस खुतबे को हिन्दी करने वाले, इसके आप तक पहुंचने का जरिया बनने वाले ,, इस मक़सद में हमारा साथ देने वाले को भी दुआ में याद रखें
किसी और भाषा या तरीके से चाहते हैं लिखें 🤲🤲umarkairanvi@gmail.com
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Book: Khutba Juma w eiden - ma zaroori aadab w ahkam
خطبات جمعہ وعیدین۔مع ضروری آداب واحکام مفتی اعظم مولانا محمد صفی