मुहम्मद उमर कैरानवी: June 2019

Tuesday, June 25, 2019

مباحثہ گوشت خوری चर्चा-ए-गोश्तखोरी


 


 भारत से फरार या हिजरत कर चुके इधर के विवादित उधर यानि विदेशों में सम्मानित डाक्टर जाकिर नायक से एक सवाल दो बार किया गया लेकिन वो जवाब ना दे सके, उनकी काबलियत को देखकर यह नहीं कह सकता कि दे नहीं सकते थे, पहली बार यह सवाल दस साल पहले 1999 में गोश्तखोरी पर हुए बेहद सफल मुबाहिसे डिबेट में रश्मी भाई ज़ावेरी ने किया था, तब उन्होंने बहुत सारे जवाब दिये थे, जो किताबी शकल में भी कई भाषाओं में मिलज जाते हैं, शायद इसकी तरफ ध्यान ना दे सके हों?




  लेकिन अगर तब जवाब दे दिया होता तो अब 2019 में पंडित महिंद्रपाल  द्वारा दूसरी बार सुनने का ना मिलता, यह वोही पंडित जी हैं जो अपने को पूर्व इमाम मस्जिद बताते हैं, 10 साल से कह रहे कि उन्हों ने पन्द्रह हजार मुसलमानों को वैदिक धर्मी दूसरे शब्दों में आर्य समाजी बना दिया, सैंकडों विडियो डाल चुके फिर भी उनकी गिनती 10 साल से बढ नहीं रही, जिन्हें डाक्टर असलम कासमी साहब ने कोचिंग टयूशन से अरबी सीखा हुआ साबित किया है और जिसको जाकिर नायक ने मुकाबले मुनाजरे के लिए अपने लाखों दर्शकों के साथ अपने भगवा दस हजार दर्शकों का बंदोबस्त करने के लिए कहा है ताकि आशिक़ का जनाजा धूम से निकले।



सवाल सुनिये जवाब किसी ने दिया हो तो बताईये, डाक्टर जाकिर नायक जवाब नहीं दे सके तो भी किया बिगड गया उनसे सौ साल पहले इस सवाल के 7 तरह से जवाब दिये गये हैं, उस जवाबी किताब के एक जवाब में जानेंगे कि उनसे पहले भी किसी ने इनको बहतर जवाब दिये थे, यानि अल्लाह की मर्जी उसने जिसके जरिये बात कहलवानी र्है, मेरे नसीब में था गोश्तखोरी पर एक बहतरीन किताब से भी आपको परिचित करानाए ऐसी बहुत सी बातें भी आप इस विडियो में देखें सुनेंगे, जान लेंगे इन्शा अल्लाह।
सवाल आपने सुन लिया इसके जवाब में जाकिर नायक का दिफा बचाव करने वालों ने जो जवाब अपलोड किये हैं वो गोश्तखोरी को तो ठीक साबित करते हैं लेकिन उसे इन्सानी फितरत स्वभाव से उठाये गये सवाल का जवाब नहीं कह सकते,
 उनके सवाल के 7 तरह से जवाब के बाद
 आखिर विडियो में इसी फितरत नेचर स्वभाव के तीन सवाल किये जायेंगे जिनका 110 साल से मुसलमानों को इन्तजार है जैसे कि ‘‘हक प्रकाश बजवाब सत्यार्थ प्रकाश’’ का और ‘‘मुकददस रसूल बजवाब रंगीला रसूल’’ और नये जमाने में डाक्टर अनवर जमाल खान ‘‘स्वामी दयानंद ने क्या खोया क्या पाया’’ प्रावर्धित संस्करण का आज तक इन्तजार किया जा रहा है।
इस्लाम को दुनिया की हर कसौटी पर आज़माने पर खरा पाया गया, गोश्तखोरी को गलत ठहराने वालों ने जब 1910 में फितरत, स्वभाव, नेचर के पैमाने से नापा आजमाया तो यह तब भी खरा साबित हुआ, मुबाहिसा ए गोश्तखोरी नामी किताब जिसे मैंने उर्दू के साथ हिंदी करके चर्चा गोश्तखोरी नाम से नेट में डाला हुआ है 45 पेज की किताब है यह बहस मुनाजरा हकीम बशीर अहमद और नित्यानंद समाजी के बीच हुयी थी, किताब में दिलचस्प जवाब दिये गये हैं, बार बार पढने काबिल किताब है, किताब सहित और विडियो से संबन्धित लिंक भी विडियो डिस्क्रिपशन में मिल जायेंगे,
सवाल का जवाब उस किताब में 7 तरह से यूं दिया गया हैः
सवालः चौपाये गोश्तख़ोर जबान से चाट कर यानि जीब से पानी पीते हैं और मांसखौर (पेड, पोघे, घांस खाने वाले) चुस्की-होंटो से, इन्सान भी चुस्की से पानी पीता है। इसलिए गोश्तखोर नहीं हुआ।
डाक्टर बशीर साहब के सात जवाब
  • (पहला जवाब)  जब दूसरे मांसाहारी गोश्तखोर भी चुस्की होंटो से पानी पीते हैं जैसे चूंहा, नेवला, (मंगोस) तो इन्सान बिला शक गोश्तख़ोर हुआ (आपके जाल को आप ही के चूहों ने कुतर ड़ाला)
  • (दूसरा जवाब) शाकाहारी मुंह लगाकर पानी पीते हैं और इन्सान चुल्लु से पानी उठा कर पीता है। लिहाजा नबातखोर(शाकाहारी) न हुआ। 

  • (तीसरा जवाब) पीने से खाने का जिक्र मुक़द्दम था जिस को आपने बिल्कुल तर्क कर दिया।            
  • नोटः- अगर यह मजहब इस अमर का क़ाइल है कि जो इन्सान इस जन्म में सजा के काम करता हैं। उस जन्म में सजा पाता है और सजा के तौर पर जानवरां का जन्म लेता है। इस क़ायदे से आर्यों को हम से गोश्तख़ोरी पर कोई मुखालफत न करना चाहिये।

  • (चौथा जवाब) सुनिये! जिस क़दर नबातखोर(शाकाहारी) हैं वह मुंह से ही अपनी गिजा खाते हैं हाथ से मदद नही लेते मगर गोश्तखोर खाते वक़्त जरूर हाथ से मदद लेते हैं और गिजा चबा-चबा कर खाते है इन्सान गिजा खाने में (1)हाथ से भी मदद लेता है और (2) चबा-चबा कर भी खाता है गोया इन्सान खाने में गोश्तख़ोर से पूरा मुशाबह(जैसा) है।
  •  बरअक्स इसके अगर थोडी देर के लिये यह तस्लीम करलें कि ंइंसान चुस्की से पानी पीता है इसलिए वह नबातख़ोर(शाकाहारी) है तो भी मुशाबहत पूरी नही चुकि इन्सान पानी हाथ में लेकर पीता है। खुसूसन जबकि दीगर गोश्तखोर भी चुस्की से पानी पीने वाले मौजूद हों।
  •  पस अगर इन्सान का गोश्तखोर होना ,खाने पीने पर आप के नजदीक मुन्हसिर है तो इन्सान बिला-शक गोश्तखोर साबित हुआ।

  • (पांचवा जवाब) जब कि आप ने खाने पीने का जिक्र दलील में पेश किया हैं  तो पाखाना का जिक्र भी जरूरी है गौर से देखिये गोश्तख़ोर झुक कर पाखाना करते हैं और इन्सान भी झुक-कर रफे हाजत करता है और नबातख़ोर खडे-खडे गौबर करते हैं लिहाजा इन्सान गोश्तखोर हुआ।
  • मुहलांहिजा फरमाइये के गोश्तखोर के पाखाने मे बदबू होती है और इन्सान के पाखाने मे भी बदबू होती है नबातखोर के पाखाने मे बदबू नही होती। लिह़ाजा इंसान गोश्त खोर हुआ।              
  •  नोटः- अगरचे यह एक मामूली बात मालूम होती है लेकिन अगर इसपर गौर किया जाये तो यह एक ऐसी बात है कि इस के मालूम होने के बाद कोई इन्सान को नबातखोर नहीं कह सकता डाक्टर साहब इस तशरीही मसअले को खूब समझ लेंगे ।

  • (छटा जवाब))-गोश्त खौर मकान बना कर रहता है नबातख़ोर(शाकाहारी) बगेर मकान बनाये रहते हैं यह मसला अजहर मिनश्-शम्स(सूरज से अधिक रौशन) है लिहाजा इन्सान चुंकि गोश्तखोर के मुशाबह(जैसा) हैं गोश्तखोर हुआ।

  • (सातवां जवाब)-स्वामी नित्यानन्द ने मुझे कहा था कि इन्सान चोरी करता है दर-हक़ीक़त चोरी करना भी गोश्तखोरी का खास्सा हैं बिल्ली, कुत्ते, शेर आदमी सब इस काम में यकसाँ मुब्तला हैं लिहाजा इस ऐतबार से भी इन्सान गोश्तखोर हुआ।
आप को जो श्ुबा था जिसकी वजह से बेचारे इन्सान को जो शेर की हमसरी का दावा रखता है बल्कि हमेशा उस से बाजी ले जाता है एक बकरी के क़िस्म का तसव्वुर कर लिया था दफा हो गया क्योंकि मैंने आपके एक दावे को सात तरह पर समझा दिया और हर एक का ऐसा जिन्दा सुबूत दिया कि जो रोजाना आपकी आँखों के सामने मौजूद है।
किताब के आखिर में हकीम बशीर अहमद लिखते हैं
 आईंदा कोई सवाल करना हो तो सोच समझ कर कीजिये इस रूसवाई से क्या फायदा आप के सवालात के जवाबात ख़त्म हुए। अब आप बहुत जल्द इन जवाबात के मुतअल्लिक अपनी राये तहरीर फरमायें अगर इत्मिनान न हो तो मजीद इत्मिनान के लिये मैं तैय्यार हूं।
अब आपसे हमारे तीन सवालात
  •  (1) गोश्त खुरदन के बच्चे पैदा होने के बाद रफता-रफता चलने-फिरने के क़ाबिल होते हैं, जैसे शेर, बिल्ली, चीता वगै़रा। सब्जी खूरदन के बच्चे पैदा होते ही चलने फिरने लगते हैं जैसे गाये बकरी हिरन वगै़रह।
  चुंकि इन्सान का बच्चा पैदा होने के बाद रफता-रफता चलने फिरने के क़ाबिल होता है इसलिए मालूम होता है कि वह फितरतन गोश्त खोर है अगर वह गोश्तखोर नहीं है तो क्यों नही मिस्ल सब्जीखोर के पैदा होते ही चलने फिरने लगता है।

  • (2) जिस क़दर गोश्तखोर है उनके बच्चे पैदा होने के बाद अव्वल पाखाना फिरते हैं मगर नबात खोर के बच्चे पैदा होने के बाद अव्वल पैशाब करते हैं इन्सान का बच्चा चूंकि पैदा होने के बाद अव्वल पाखाना फिरता है लिहाजा यह गोश्तखोर है।

  • (3) गोश्तखोर भटार बना कर रहते हैं और सब्जी खोर खुले मैदान या दरख़त(पेड) के नीचे बसर करते हैं इन्सान भटार बना कर मकान में रहता हे लिहाजा गोश्तखोर (मांसाखोर, मांसाहारी) है ।  फक़त
 ईददुल अज़हा बकरा ईद आ रही है, मुखालिफ गोश्तखोरी पर अपना पियार लुटायेंगे जवाबी तैयारी के लिए इस किताब के साथ इस विडियो को पियार शेयर लाइक आदि दोगे तो नतीजे में बहुत नेकियों के हकदार बनोगे, इन्शा अललाह, धन्यवाद



download Links
जानवरों के स्वभाव से ११० साल पुराने १ सवाल के ७ जवाब (गोश्तखोरी)
مباحثہ گوشت خوری
चर्चा-ए-गोश्तखोरी: चर्चा-ए-गोश्तखोरी -- बशीर अहमद और महात्मा नित्यानंद
Urdu Pdf
+ hindi Pdf
+

Monday, June 17, 2019

charcha gosth khori-‘‘चर्चा-ए-गोश्तखोरी’’ किताब का विमोचन kairana book release


कैराना। अन्जुमन दावत इलल हक़ के सहयोगी इदारे मकतबा कुरआन अकेडमी के सहयोग से ‘‘चर्चा-ए-गोश्तखोरी’’ नामी किताब का विमोचनजामितुस्सादा के संचालक मौलाना इरफान कासमी द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उमर कैरानवी ने की। इस अवसर पर पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए उमर कैरानवी ने बताया कि यह पुस्तक हिंदू-मुस्लिमों के बीच हो रही गोश्तखोरी के सम्बंध में विभिन्न भ्रांतियों को दूर करेगी विशेष रूप से उक्त पुस्तक में आर्यसमाजी विद्वानों के प्राकृतिक, नैतिक और स्वाभाविक प्रश्नों के दिलचस्प जवाब दिए गए हैं। इस अवसर पर मौलाना आबिद रशीदी ने कहा कि कैराना की ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत समय बाद एक ऐसी पुस्तक का विमोचन किया जा रहा है जो इस विषय पर बेहद कामयाब रहेगा। यह हम सबके लिए बडे गर्व की बात है।
इस अवसर पर मौलाना मौज्जम, मौलाना हुसैन, मौलाना अरशद, समाज सेवी मुस्तकीम रामडा, मुम्बई से पधारे रेक्स रेमेडीज के मुहम्मद तोसीफ, चैधरी शराफत हुसैन आदि ने भाग लिया।
Book in hindi Unicode here