पुस्तक '''इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास' ' के लेखक स्वामी लक्ष्मी लक्ष्मीशंकराचार्य जी पुस्तक बारे में में कल 'हमारी अन्जुमन' पर जानकारी डाली गयी थी, कि आपने इस किताब का स्वयं ही रद करके पुस्तक 'इस्लाम आतंक? या आदर्श ' में कुरआन में लिखीं जिहादी 24 आयतों को विस्तार से समझाया है कि इनमें अच्छा ही अच्छा है बुरा कुछ भी नहीं, सोचा यह जानकारी हिन्दू-मुस्लिम प्यार बढाने वाली है क्यूं ने इसमें कुछ बढोतरी करके पेश किया जाये जिससे वह भी देख सकें जो कल नहीं देख सके थे, मेरी नजर में तो मुसलमानों को आपने शर्मिन्दा कर दिया जो काम उनको करना था वह स्वामी जी न कर दिखाया, मैं अल्लाह से दुआ करता हूं अल्लाह इस नेक काम का उनको बदला दे, आमीन
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लेखक-स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य
laxmishankaracharya@yahoo.in
ए-१६०१,आवास विकास कॉलोनी,हंसपुरम,नौबस्ता,कानपुर-२०८०२१
इस्लाम आतंक? या आदर्श- यह पुस्तक का नाम है जो कानपुर के स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी ने लिखी है। इस पुस्तक में स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने इस्लाम के अपने अध्ययन को बखूबी पेश किया है।
स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य के साथ दिलचस्प वाकिया जुड़ा हुआ है। वे अपनी इस पुस्तक की भूमिका में लिखते हैं-
मेरे मन में यह गलत धारणा बन गई थी कि इतिहास में हिन्दु राजाओं और मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुई मारकाट तथा आज के दंगों और आतंकवाद का कारण इस्लाम है। मेरा दिमाग भ्रमित हो चुका था। इस भ्रमित दिमाग से हर आतंकवादी घटना मुझ इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी।
इस्लाम,इतिहास और आज की घटनाओं को जोड़ते हुए मैंने एक पुस्तक लिख डाली-'इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास' जिसका अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ।
पुस्तक में स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य आगे लिखते हैं-
जब दुबारा से मैंने सबसे पहले मुहम्मद साहब की जीवनी पढ़ी। जीवनी पढऩे के बाद इसी नजरिए से जब मन की शुद्धता के साथ कुरआन मजीद शुरू से अंत तक पढ़ी,तो मुझो कुरआन मजीद के आयतों का सही मतलब और मकसद समझाने में आने लगा।
सत्य सामने आने के बाद मुझ अपनी भूल का अहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था और इस कारण ही मैंने अपनी उक्त किताब-'इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास' में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा है जिसका मुझो हार्दिक खेद है
स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य के साथ दिलचस्प वाकिया जुड़ा हुआ है। वे अपनी इस पुस्तक की भूमिका में लिखते हैं-
मेरे मन में यह गलत धारणा बन गई थी कि इतिहास में हिन्दु राजाओं और मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुई मारकाट तथा आज के दंगों और आतंकवाद का कारण इस्लाम है। मेरा दिमाग भ्रमित हो चुका था। इस भ्रमित दिमाग से हर आतंकवादी घटना मुझ इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी।
इस्लाम,इतिहास और आज की घटनाओं को जोड़ते हुए मैंने एक पुस्तक लिख डाली-'इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास' जिसका अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ।
पुस्तक में स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य आगे लिखते हैं-
जब दुबारा से मैंने सबसे पहले मुहम्मद साहब की जीवनी पढ़ी। जीवनी पढऩे के बाद इसी नजरिए से जब मन की शुद्धता के साथ कुरआन मजीद शुरू से अंत तक पढ़ी,तो मुझो कुरआन मजीद के आयतों का सही मतलब और मकसद समझाने में आने लगा।
सत्य सामने आने के बाद मुझ अपनी भूल का अहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था और इस कारण ही मैंने अपनी उक्त किताब-'इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास' में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा है जिसका मुझो हार्दिक खेद है
==नमूना====
पैम्फलेट में लिखी 8 वें क्रम की आयत हैः
''हे 'ईमान' लाने वालो!......और 'काफिरों' को अपना मित्र मत बनाओ, अल्लाह से डरते रहो यदि तुम ईमान वाले हो'' सूरा 5, आयत 57
Swami Laxmi Sankaracharya:
यह आयत भी अधूरी दी गई है, आयत के बीच का अंश जान बूझकर छिपाने की शरारत की गई है, पूरी आयत है
'ऐ ईमान लाने वालो! जिन लोगों को तुमसे पहले किताबें दी गई थीं, उन को और काफिरों को जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हंसी और खेल बना रखा है, मित्र न बनाओ और अल्लाह से डरते रहो यदि तुम ईमान वाले हो - कुरआन ,पारा6 , सूरा 5, आयत 57
आयत को पढने से साफ है कि काफि़र कुरैश तथा उनके सहयोगी यहूदी और ईसाई जो मुसलमानों के धर्म की हंसी उडाया करते थे, उन को दोस्त न बनाने के लिये यह आयत आई, यह लडाई-झगडे के लिये उकसाने वाली या घृणा फैलाने वाली कहां से है ? इसके विपरीत पाठक स्वयं देखें कि पैम्फलेट में 'जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हंसी और खेल बना रखा है' को जानबूझकर छिपा कर उसका मतलब पूरी तरह बदल देने की साजिश करने वाले क्या चाहते हैं
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''हे 'ईमान' लाने वालो!......और 'काफिरों' को अपना मित्र मत बनाओ, अल्लाह से डरते रहो यदि तुम ईमान वाले हो'' सूरा 5, आयत 57
Swami Laxmi Sankaracharya:
यह आयत भी अधूरी दी गई है, आयत के बीच का अंश जान बूझकर छिपाने की शरारत की गई है, पूरी आयत है
'ऐ ईमान लाने वालो! जिन लोगों को तुमसे पहले किताबें दी गई थीं, उन को और काफिरों को जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हंसी और खेल बना रखा है, मित्र न बनाओ और अल्लाह से डरते रहो यदि तुम ईमान वाले हो - कुरआन ,पारा6 , सूरा 5, आयत 57
आयत को पढने से साफ है कि काफि़र कुरैश तथा उनके सहयोगी यहूदी और ईसाई जो मुसलमानों के धर्म की हंसी उडाया करते थे, उन को दोस्त न बनाने के लिये यह आयत आई, यह लडाई-झगडे के लिये उकसाने वाली या घृणा फैलाने वाली कहां से है ? इसके विपरीत पाठक स्वयं देखें कि पैम्फलेट में 'जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हंसी और खेल बना रखा है' को जानबूझकर छिपा कर उसका मतलब पूरी तरह बदल देने की साजिश करने वाले क्या चाहते हैं
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स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने अपनी पुस्तक में
मौलाना को लेकर इस तरह के विचार व्यक्त किए हैं-
इस्लाम को नजदीक से ना जानने वाले भ्रमित लोगों को लगता है कि मुस्लिम मौलाना,गैर मुस्लिमों से घृणा करने वाले अत्यन्त कठोर लोग होते हैं। लेकिन बाद में जैसा कि मैंने देखा,जाना और उनके बारे में सुना,उससे मुझो इस सच्चाई का पता चला कि मौलाना कहे जाने वाले मुसलमान व्यवहार में सदाचारी होते हैं,अन्य धर्मों के धर्माचार्यों के लिए अपने मन में सम्मान रखते हैं। साथ ही वह मानवता के प्रति दयालु और सवेंदनशील होते हैं। उनमें सन्तों के सभी गुण मैंने देखे। इस्लाम के यह पण्डित आदर के योग्य हैं जो इस्लाम के सिद्धान्तों और नियमों का कठोरता से पालन करते हैं,गुणों का सम्मान करते हैं। वे अति सभ्य और मृदुभाषी होते हैं।
ऐसे मुस्लिम धर्माचार्यों के लिए भ्रमवश मैंने भी गलत धारणा बना रखी थी।
इस्लाम को नजदीक से ना जानने वाले भ्रमित लोगों को लगता है कि मुस्लिम मौलाना,गैर मुस्लिमों से घृणा करने वाले अत्यन्त कठोर लोग होते हैं। लेकिन बाद में जैसा कि मैंने देखा,जाना और उनके बारे में सुना,उससे मुझो इस सच्चाई का पता चला कि मौलाना कहे जाने वाले मुसलमान व्यवहार में सदाचारी होते हैं,अन्य धर्मों के धर्माचार्यों के लिए अपने मन में सम्मान रखते हैं। साथ ही वह मानवता के प्रति दयालु और सवेंदनशील होते हैं। उनमें सन्तों के सभी गुण मैंने देखे। इस्लाम के यह पण्डित आदर के योग्य हैं जो इस्लाम के सिद्धान्तों और नियमों का कठोरता से पालन करते हैं,गुणों का सम्मान करते हैं। वे अति सभ्य और मृदुभाषी होते हैं।
ऐसे मुस्लिम धर्माचार्यों के लिए भ्रमवश मैंने भी गलत धारणा बना रखी थी।
लक्ष्मीशंकराचार्य अपनी पुस्तक की भूमिका के अंत में लिखते हैं-
मैं अल्लाह से,पैगम्बर मुहम्मद सल्ललल्लाहु अलेह वसल्लम से और सभी मुस्लिम भाइयों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगता हूं तथा अज्ञानता में लिखे व बोले शब्दों को वापस लेता हूं। सभी जनता से मेरी अपील है कि 'इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास' पुस्तक में जो लिखा है उसे शून्य समझों।
एक सौ दस पेजों की इस पुस्तक-इस्लाम आतंक? या आदर्श में शंकराचार्य ने खास तौर पर कुरआन की उन चौबीस आयतों का जिक्र किया है जिनके गलत मायने निकालकर इन्हें आतंकवाद से जोड़ा जाता है। उन्होंने इन चौबीस आयतों का अच्छा खुलासा करके यह साबित किया है कि किस साजिश के तहत इन आयतों को हिंसा के रूप में दुष्प्रचारित किया जा रहा है।
उन्होंने किताब में ना केवल इस्लाम से जुड़ी गलतफहमियों दूर करने की बेहतर कोशिश की है बल्कि इस्लाम को अच्छे अंदाज में पेश किया है।
मैं अल्लाह से,पैगम्बर मुहम्मद सल्ललल्लाहु अलेह वसल्लम से और सभी मुस्लिम भाइयों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगता हूं तथा अज्ञानता में लिखे व बोले शब्दों को वापस लेता हूं। सभी जनता से मेरी अपील है कि 'इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास' पुस्तक में जो लिखा है उसे शून्य समझों।
एक सौ दस पेजों की इस पुस्तक-इस्लाम आतंक? या आदर्श में शंकराचार्य ने खास तौर पर कुरआन की उन चौबीस आयतों का जिक्र किया है जिनके गलत मायने निकालकर इन्हें आतंकवाद से जोड़ा जाता है। उन्होंने इन चौबीस आयतों का अच्छा खुलासा करके यह साबित किया है कि किस साजिश के तहत इन आयतों को हिंसा के रूप में दुष्प्रचारित किया जा रहा है।
उन्होंने किताब में ना केवल इस्लाम से जुड़ी गलतफहमियों दूर करने की बेहतर कोशिश की है बल्कि इस्लाम को अच्छे अंदाज में पेश किया है।
अब तो स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य देश भर में घूम रहे हैं और लोगों की इस्लाम से जुड़ी गलतफहमियां दूर कर इस्लाम की सही तस्वीर लोगों के सामने पेश कर रहे हैं।
साभारः
'हमारी अन्जुमन'
27 comments:
nice post
umar bhai waki men yeh kal nahin padh saka tha, jazakallah
मुसलमानों इसमें शर्मिन्दा होने की कोई बात नहीं, अल्लाह जिससे चाहता है काम लेता है, किस्मत भी तो कोई चीज है, आपने इसमें बढोतरी करके पेश किया अच्छा किया, शुक्रिया
बहुत ही मालूमाती किताब!!! सुभान-अल्लाह आप बहुत ही उम्दा काम कर रहे हैं..
आप सभी को यौम-ए-रहमत मुबारक!!
abe poori kitab daal deta jese tune net men islami kitabon ki bharmar kar rakhi ek yeh bhi daal deta to kiya nani mar jati
स्वामी जी, ने अच्छा किया, जो गलत है उसे गलत मान लेना अच्छी, बात है, मेरे खयाल में स्वामी जी बधाई के पात्र हैं, यही बातें सज्जनों की पहचान होती हैं
anwer bhai se sahamat: मुसलमानों इसमें शर्मिन्दा होने की कोई बात नहीं, अल्लाह जिससे चाहता है काम लेता है, किस्मत भी तो कोई चीज है, आपने इसमें बढोतरी करके पेश किया अच्छा किया, शुक्रिया
achhi baton ki sarahna karni chahiye. HAMARE Hindu bhaEi ne misal banayi. is se muhabbat badh sakti he..yahi mere bharat ki khoobi he...anekta men EKTA
जिस भाई को यह किताब चाहिये वह देवबन्द में हमसे राबिता करे
तौबा करो, तौबा करने से गुनाह माफ हो जाते हैं, बेशक अल्लाह तौबा करने वालों के साथ है।
धर्म की शुरूआत गलत ढंग से नहीं की जाती है .. पर स्वार्थी तत्वों के हाथ में जाकर इसका स्वरूप बिगड जाता है !!
यह किताब इस्लाम को आतंकवाद से जोडने वालों के लिये करारी चोट, किताब बेहद मकबूल रही है, हम बांटते बांटते थक गये, खुदा ताला इसका बदला स्वामी जी को जरूर देगा, शुक्रिया
achhi baat he, wese hamare dost is topic par kaam kar rahe the pandit ji ne yeh kaam kar diya,,achha kiya,, hamri duaayen
किसी भी धर्म को बुरा कहने वाला ही बुरा होता है , दुनिया में शायद ही कोई धर्म हो जो नफरत सिखाता हो , सिर्फ उसकी व्याख्या तथाकथित विद्वानों द्वारा, गलत तरह से की जाती है जिससे उनकी दुकान अज्ञानी श्रोताओं से चलती रहे !
हम सबका फ़र्ज़ है कि धार्मिक वक्तव्यों में अगर कोई भी गलत व्याख्या दे तो उसे ठीक प्रकार से पारिभाषित करने में अपना योगदान करें ! शुभकामनायें !
Dharm kabhi bhi bura nahi hota hai. log ise bura bana dete hain. maine pahle bhi kaha hai ki musalmano ko jarurat hai kuran ko sahi tarah se samajhane ki.
@संगीता पुरी जी आपसे सहमत वाकई स्वार्थी तत्वों के हाथ में जाकर धर्म का स्वरूप बिगड जाता है, होसला अफजाई का शुक्रिया
@सतीश सक्सेना जी, एक से नहीं आपकी सभी बातों से सहमत, वाकई धर्म नफरत नहीं फैलाते, हमारी कोशिश गलत व्याख्या को ठीक प्रकार से पारिभाषित करने की होनी चाहिये
@Tarkeshwar Giri जी , आज तो सबने हैरत में डाल दिया, सोचा था आज जमके बहस करूंगा, लेकिन आप जैसे नामी ब्लागर भी, बकवास नहीं कर रहे सच्ची बात कर रहे हैं, वाकई मुसलमानों को कुरआन को सही तरह समझने की जरूरत है, भाई हम तो कोशिश कर सकते हैं, कर रहे हैं, आगे रब की मरजी वह क्या नतीजा दे
मेरा विश्वास है कि जो करे निरन्तर प्रयास वह रखे सफलता की आस
ढाई आखऱ प्रेम का पढ़ै सो पंडित होय!
होली की सबको बधाई ! पहली बार कुछ सार्थक ले कर आयें हैं लगता है अब आप भी ह्रदय परिवर्तन के कगार पर हैं . बधाई हो ! वैसे यह तो सत्य है कोई भी धर्म ,संगठन , संस्था आदि इंसान के भले के लिए आरम्भ होता है धीरे-धीरे उसका मूल रूप बिगाड़ कर लोग-अपने हिसाब से चलाने की कोइशिश करने लगते हैं . इस बार दिल्ली पुस्तक मेले से हम भी कुरआन का हिंदी वेर्जन लाये हैं .देखते हैं क्या-क्या लिखा है फ़िर आपसे बात करेंगे !
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doing a gr8 job!!! subhanallah!!
आज की पोस्ट लाजवाब है... मुबारकबाद!
गलत कुरआन नहीं बल्कि उसके नाम पर गलत बातें फ़ैलाने वाले स्वार्थी लोग हैं. इस्लाम के नाम पर हिंसा करने वाले, अनपढ़ मुस्लिमों को भड़काने वाले, दूसरों से नफरत सिखाने वाले दरअसल मुसलमानों के दुश्मन हैं. पढ़े लिखे मुसलमानों को भी ऐसे आस्तीन के सांपों विरोध में आगे आना चाहिए.हर मुस्लमान यह समझ ले तो फिर इस्लाम का गलत फायदा उठाने वालों की दाल कैसे गलेगी? उनका हित तो इसी में है की मुसलमानों को भड़काया जाए और भीड़ के माध्यम से सियासी ताकत जुगाड़ी जाए.
विप्लव ji , दिनेशराय द्विवेदी , ab inconvenienti ,शेरघाटी , शहरोज़ ji aap sabka shukriya
बहुत ही मालूमाती किताब!!! सुभान-अल्लाह आप बहुत ही उम्दा काम कर रहे हैं..
ved quran ka parmeshwar ek hai.
sab usi ke bhakt aur bande hain.
antar kewal bhasa ka hai tathyon ka nahin . jis din ye bat hindu muslim janta jan jayegi usi din bharat vishva guru ban jayega.
aj tak divide and rule ki policy chali hai lekin ab unite and rule ki policy chalegi. aao hum sab milkar ek sachhe malik ke nam par apne pyare bharat ko vishva ka sirmor banayen.
ye kitab delhi men
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abul fazl enclave jamia nagar new delhi 110025
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jaldi hi apko online milegi insha allah
AND
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www.my.opera.com/sunofislam
Hum nahin behkenge.
किताब और स्वामी जी की फोटो के साथ आपने इस विषय को अच्छे अंदाज में उठाया है।
स्वामी जी की यह किताब देश के कोने-कोने में पहूंच चुकी है।
और हां मार्च महीने में उनका दिल्ली में प्रोग्राम होने वाला है।
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